Homoeopathy में श्योर शॉट इलाज का रहस्य इन 7 सवालों के जवाब में है

जैसे मॉडर्न मेडिकल साइंस में पैथोलॉजिकल टेस्ट के जरिये बीमारियों की डायग्नोसिस में मदद मिलती है. जैसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में नाड़ी देख कर एक्सपर्ट जान जाते हैं कि किसी को क्या तकलीफ है और कौन सी बीमारी है. ठीक वैसे ही होम्योपैथी में डॉक्टर मरीज से कुछ सवालों के जरिये बीमारी को पकड़ने की कोशिश करते हैं.


अगर आपने होम्योपैथी से अपनी तकलीफ का इलाज का फैसला कर चुके हैं तो डॉक्टर के यहां जाने से पहले कुछ सवालों के जवाब तैयार कर लें. अगर आपको लगता है कि कुछ बातें भूल सकती हैं तो अच्छा होगा पहले से ही उन्हें कहीं नोट कर लें.

  1. अपनी तकलीफ की पूरी जानकारी होनी चाहिये: तकलीफ कब से है. शुरुआत कैसे हुई. क्या तकलीफ दोबारा हुई है. कहीं ऐसा तो नहीं कि अचानक तकलीफ होती है और जब तक आप इलाज के लिए सोचते हैं तब तक वो गायब हो जाती है. तभी दूसरी तकलीफ शुरू हो जाती है और आप उसका तात्कालिक इलाज करा लेते हैं – हो सकता है असली बीमारी वही हो जो आती-जाती रह रही है.
  2. बीमारी के नेचर को समझना जरूरी है: होम्योपैथिक इलाज में बीमारी की जड़ पकड़ना जरूरी होता है. जरूरी नहीं कि जो तकलीफ सामने दिख रही हो, बीमारी भी वही हो. ऐसा भी हो सकता है असली बीमारी कुछ और हो और आपका ध्यान उसकी वजह से होने वाली तकलीफों में भटक रहा हो. अगर ये बात समझ में नहीं आती तो डॉक्टर से बात कर इसे समझें और समझायें ताकि सही दवा का चयन हो और आप जितना जल्दी हो सके निरोग हो सकें.
  3. बीमारी खानदानी तो नहीं है: ऐसी कई बीमारियां हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को अपना शिकार बनाती रहती हैं. कई Heridetary बीमारियां तो मौत तक का भी कारण बनती हैं. अगर आप भी उसी कैटेगरी के मरीज हैं तो होम्योपैथिक डॉक्टर के पास जाने से पहले अपनी मेडिकल हिस्ट्री तैयार रखें – इलाज काफी आसान हो सकता है.
  4. अब तक जो भी इलाज करा चुके हों: सिर्फ वे लोग जिनके फेमिली डॉक्टर होम्योपैथ हैं वे ही तकलीफ होते ही इलाज के लिए पहुंचते हैं. आम धारणा यही है कि इलाज के तमाम तरीके आजमाने के बाद ही लोग होम्योपैथ के पास पहुंचते हैं. बहरहाल, जब आप तय कर लें कि किसी होम्योपैथ से ही इलाज कराना है तो एक लिस्ट जरूर तैयार कर लें कि इलाज के कौन कौन से तरीके आजमा चुके हैं.
  5. ज्यादा तकलीफ कब होती है: ऐसी बहुत सी बीमारियां हैं जिनमें तकलीफ हर वक्त बराबर रहती है. फिर भी दिन या रात के किसी समय तकलीफ कम या ज्यादा देखी जाती है. ऐसा भी हो सकता है सूर्योदय या फिर सूर्यास्त के वक्त बीमारी बढ़ती या घट जाती हो – ऐसा कुछ भी है तो अपने डॉक्टर को जरूर बतायें.
  6. किन चीजों से आराम मिलता है: बीमारी के सही इलाज के लिए जरूरी है कि आप डॉक्टर को बतायें कि वे कौन से फैक्टर हैं जो आपकी तकलीफ में राहत देते हैं – मसलन, ठंडा या गर्म खाने से आराम मिलता हो. बंद कमरे में रहने या खुली हवा में जाने पर आराम मिलता हो. ठंड की वजह से तकलीफ बढ़ जाती हो या तेज धूप में ऐसा महसूस होता हो.
  7. मरीज पर बीमारी का प्रभाव कितना है: सामान्य बीमारियां भी कुछ लोगों पर गहरा असर करती हैं, जबकि गंभीर बीमारियों का भी कुछ लोगों पर जरा भी असर नहीं नजर आता. होम्योपैथिक दवा देने से पहले डॉक्टर ये जानना जरूर चाहता है कि बीमारी का मरीज के मन और शरीर पर कितना और किस तरह का असर हो रहा है.

अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर तो मरीज के लिए दवा तभी तय कर लेते हैं जब वो सामने से आ रहा होता है – और पास पहुंच कर जिस तरह के हाव भाव प्रदर्शित और बातचीत करता है. फिर भी कुछ सवालों के सही सही जवाब मिल जायें तो होम्योपैथिक दवायें जादू सा असर दिखाती हैं.