केस स्टडी: जल जाने पर इलाज के लिए Urtica Urens से बेहतर कोई दवा नहीं

हादसे तो सभी बुरे होते हैं, मगर उनमें भी सबसे तकलीफदेह होता है – अगर कहीं जल जाये. जल जाने के बाद और बुरा होता है फफोले पड़ जाना. यहां तक भी गनीमत है, सबसे बुरा तो तब होता है जब फफोले फूट जाते हैं. ये स्थिति बहुत ही कष्टदायक होती है और इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसी स्थिति आने पर जरूरत के हिसाब से प्रॉपर मेडिकल केयर बेहद जरूरी होता है.
बेहतर तो यही हो कि ये स्थिति आने ही न दी जाये – क्योंकि इलाज से बेहतर है उसकी रोकथाम. सतर्कता से हादसे रोके जा सकते हैं. फिर भी अगर कहीं जल जाये तो शुरुआती कदम बहुत मायने रखते हैं.
अगर शरीर का कोई हिस्सा जल जाये तो सबसे पहले उस पर साफ और ठंडा पानी डालने की सलाह दी जाती है. अगर साफ सुथरी बर्फ हो तो जले हुए हिस्से पर रखने से जलन कम होती है. पुराने जमाने में तो लोग जलने के बाद पानी से बचने की सलाह देते थे. ठंडे पानी से जलने का असर कम हो जाता है और अंदर के टिश्यू डैमेज होने से बच जाते हैं.
होम्योपैथी में जल जाने की स्थिति में बेहतरीन इलाज है. बस, आपको करना ये है कि आप अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें और उसकी सलाह से चलें. यहां हम एक केस स्टडी दे रहे हैं जिससे समझ आता है कि किस तरह होम्योपैथिक दवा और डॉक्टर की मदद से बड़ी मुसीबत टाली जा सकती है.
हादसा ऐसे हुआ.
मिसेज सुलभा की आदत है कि बगैर टीवी देखे वो कुछ भी खाती पीती नहीं है. चाय नाश्ते से लेकर लंच और डिनर सभी के वक्त टीवी ऑन होनी चाहिये. ऐसी बहुतों की आदत होती है. आदत में कोई बुराई नहीं है. वैसे कुछ डायटिशियन मानते हैं कि टीवी देखने के चक्कर में इंसान जरूरत से ज्यादा खाना खा लेता है.

एक शाम की बात है. सुलभा घर पर अकेली थीं. उन्होंने चाय बनाई और टीवी के सामने सोफे पर जहां वो हमेशा बैठा करतीं, बैठ गईं. कप साफ नहीं थे इसलिए उस दिन चाय उन्होंने प्लास्टिक के डिस्पोजेबल ग्लास में ली थी. जैसे ही चाय पीने को हुईं पूरा ग्लास पलट कर उनके ऊपर गिर गया. चाय बहुत ही गर्म थी. ग्लास में डाले एक मिनट भी नहीं हुए होंगे. गर्दन से लेकर सीने तक गर्म की चपेट में आ गये. चाय का ज्यादा मीठी होना होना इसके लिए और भी बुरा हो रहा था.
सुलभा सीधे दौड़ कर किचन में गयीं ताकि ठंडे पानी और बर्फ का इस्तेमाल कर सकें. तभी, उनकी नजर दवा पर पड़ी जिसे डॉक्टर की सलाह पर उन्होंने किचन में ही रखा हुआ था.
प्राथमिक उपचार
दवा का नाम है – Urtica Urens.
सुलभा के फेमिली फिजिशियन एक होम्योपैथिक डॉक्टर हैं. उनकी सलाह से वो कुछ दवाएं भी घर पर रखती हैं और उनसे पूछ कर उनका इस्तेमाल करती हैं. ये दवा भी उन्हीं में से एक थी.
सुलभा ने सबसे पहले जले हुए हिस्से पर जितना हो सका जल्दी जल्दी दवा लगाया. फिर उन्हें लगा टाइट कपड़ों की वजह से जलने का असर ज्यादा न हो इसलिए उन्होंने बाथरूम जाकर ठीक से दवा लगाया. फिर डॉक्टर को फोन किया.
“फफोले तो नहीं निकल आये हैं?” डॉक्टर ने पूछा. डॉक्टर ने सुलभा की तत्परता पर खुशी जतायी और बताया कि उन्होंने प्राथमिक उपचार का बिलकुल सही तरीका अपनाया इसीलिए फफोले नहीं निकले और आगे भी आशंका नहीं के बराबर है.
सुलभा ने डॉक्टर को बताया कि बहुत जलन हो रही है. इसके लिए डॉक्टर ने उन्हें Cantharis लेने की सलाह दी. संयोग से ये दवा भी सुलभा ने घर पर रखा हुआ था. पोटेंसी भी वही थी जो डॉक्टर ने बताया था.
फफोले तो बिलकुल नहीं हुए लेकिन पूरी तरह आराम मिला दूसरे दिन शाम तक. हां, जले हुए हिस्से को हाथ से छूने पर थोड़ी तकलीफ जरूर हो रही थी लेकिन जल्द ही वो भी जाती रही.
सुलभा सोच रही थीं अगर घर में उन्होंने दवा नहीं रखा होता तो क्या हाल होता? वो भी भीषण गर्मी की हालत में. फफोले पड़ते और फूट जाते तो ठीक होने में मालूम नहीं कितने दिन लगते?
अब सुलभा ने डॉक्टर की सलाह से और भी जरूरी दवाएं घर पर रखने का फैसला किया है.
[व्यक्ति की निजता और गोपनीयता बरकरार रखने के लिए हमने नाम बदल दिया है. सुलभा असली नाम नहीं है.]
चेतावनी/CAUTION: कृपया योग्य डॉक्टर की सलाह के बगैर कोई दवा न लें. ऐसा करना सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है.
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