आखिर किसी बीमारी की होम्योपैथिक दवा बताना मुश्किल क्यों है – ये हैं 7 कारण

मशहूर कॉमेडियन जसपाल भट्टी का उल्टा-पुल्टा तो आपने देखे ही होंगे. अगर आपमें से किसी ने मिस किया हो तो यू-ट्यूब पर वे एपिसोड देखने को मिल जाएंगे. चाहें तो देख सकते हैं बड़े मजेदार होते थे.
भट्टी साहब की एक टिप्पणी होम्योपैथी पर भी खासी लोकप्रिय हुई थी. एक नेताजी को दिल का दौरा पड़ा होता है. डॉक्टर के किरदार में भट्टी अपने असिस्टेंट के साथ पहुंचते हैं. पूछने पर पता चलता है चुनाव में हार के बाद दौरा पड़ा है. फिर होम्योपैथिक डॉक्टर के रोल में भट्टी का सवाल होता है – ‘नेताजी कितने वोटों से हारे हैं?’ जवाब मिलता है – ‘यही कोई पांच-सात हजार.’ डॉक्टर साहब को सही दवा देने के लिए बिलकुल सटीक आंकड़े चाहिये होते हैं. तपाक से सवाल पूछते हैं, ‘पांच हजार से हारे हैं या सात हजार से?’
ये सुनते ही एक समर्थक नाराज हो उठता है. उसकी भी दलील वाजिब है. बीमार को दवा की जरूरत है, कितने वोटों से हारे हैं इससे क्या मतलब? फिर अपने पंचलाइन के साथ भट्टी बताते हैं – ‘पांच हजार से हार होने की दवा दूसरी है और सात हजार के लिए दूसरी.’
भट्टी साहब के कटाक्ष के लिए ये टॉपिक तो बेहतरीन रहा, लेकिन इसमें हर होम्योपैथिक डॉक्टर की मजबूरी भी छिपी हुई है और हैनिमन कैफे की भी – क्योंकि एक ही तकलीफ के लिए दो अलग व्यक्तियों के लिए बिलकुल अलग अलग दवाएं हो सकती हैं. कुछ उदाहरणों पर आप भी गौर फरमाइये –
1. अगर एक मरीज दुबला पतला है और दूसरे का शरीर थुलथुल तो एक ही तरह की तकलीफ होने पर भी दवा अलग अलग होगी.
2. समझ लीजिए एक व्यक्ति को मीठा पसंद है और दूसरे को नमकीन तो भी दोनों की दवाएं अलग हो सकती हैं.
3. किसी मरीज की तकलीफ ठंड के कारण बढ़ने लगती है और तकलीफ से गुजर रहे दूसरे व्यक्ति की गर्मी के कारण – तो भी एक ही दवा नहीं दी जा सकती.
4. एक ही तरह की तकलीफ में किसी को बिस्तर पर लेट जाने पर आराम मिलता और दूसरे को उठ कर बैठने पर राहत मिलती है – तय है कि दोनों को अलग अलग दवा देनी पड़ेगी.
5. एक ही तरह के दर्द में अगर दबाने पर आराम मिलता है और दूसरे शख्स को दर्द वाली जगह छूने से तकलीफ बढ़ जाती है, जाहिर है दवा अलग अलग हो जाएगी.
6. फर्ज कीजिए, कोई स्वभाव से बहुत गुस्सैल है और कोई है जो बिलकुल शांत स्वभाव वाला है, ऐसी स्थिति में दोनों को एक ही दवा दी जाये तो फायदा तो होने से रहा.
7. मान लीजिए कोई बहुत कम बोलता है और कोई है जो हमेशा बक-बक करता रहता है, कोई एक ही दवा दोनों की बीमारी ठीक कर दे, कहना मुश्किल है.
आपने ध्यान दिया होगा, होम्योपैथिक डॉक्टर मरीजों से इसी तरह के सवाल पूछते हैं – उसकी वजह भी यही सब होती है. सही दवा फाइनल करने से पहले उन्हें ऐसे सवालों के जवाब चाहिये होते हैं. एक बार सही दवा सेलेक्ट हो गयी फिर तो फौरन फायदा होगा. फिर कभी कोई आपसे ये कहे कि होम्योपैथिक दवा जल्दी सुनती नहीं तो आप दावे के साथ उससे कह सकेंगे कि ऐसी धारणा बिलकुल गलत है.
[यह लेख Allen’s Keynotes, रिसर्च और अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर से बातचीत पर आधारित है.]
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चेतावनी/CAUTION: कृपया योग्य डॉक्टर की सलाह के बगैर कोई दवा न लें. ऐसा करना सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है.
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